सोनू सूद ने मज़दूरों के लिए किया काबिले-तारीफ वाला काम।
मज़दूरों का पलायन सभी की आँखे नम कर रहा है।
हमारे मजूदरो के हालत हमसे छुपी नहीं है, कैसे वो मीलो की दूरी तय कर रहे है। बच्चे, बुजुर्ग सब अपने गांव अपने घर पहुंचना चाहते है लेकिन उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है मजबूरन वो मीलो की दुरी पैदल तय करने लगे। औरंगाबाद की घटना दिल दहला देने वाली थी कैसे मीलो की दुरी से थककर वो आराम करने लगे और 16 मज़दूरों के ऊपर से ट्रैन निकल गयी बहुत ही दुःख की बात है उनके लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है।
जो काम सरकार को करना चाहिए वही काम हमारे हीरो सोनू सूद ने बहुत ही सरहानीय काम किया है।
सोनू सूद ने प्रवासी मज़दूरों को उनके घर भेजने के लिए खुद बसों का इंतज़ाम किया है, साथ ही उनके खाने-पीने का भी इंतज़ाम किया है। सोनू सूद पहले ही अपने जुहू में जो 8 मंज़िला होटल को उन्होंने डॉक्टरों के लिए उपलब्ध करवाया था। अब वो मज़दूरों की मदद करने आगे आये है,सोनू सूद ने मुंबई के ठाणे इलाके से आज प्रवाशी मज़दूररो से भरी 10 बसों को कर्नाटक के गुलबर्गा इलाके के लिए रवाना किया है। उन्होंने 10 बसों के लिए 350 मज़दूरों के जाने का खर्च खुद उठाया है। हर एक बस के लिए सोनू सूद को 80हज़ार रूपये खर्च करने पड़े है इस हिसाब से सोनू सूद ने 8लाख की रकम खुद चुकाई है। इसके अलावा सभी मज़दूरों के पहुंचने तक रास्ते में जो भी खाने का इंतज़ाम होगा उनकी सारी जरूरतों का इंतज़ाम भी सोनू सूद ने खुद किया है।
सोनू सूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा की इन प्रवासीयो के बसों को भेजने की परमीशन लेने के लिए मुझे कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार के अधिकारीयो से भी मुझे बात करनी पड़ी। मैंने बात की क्योंकि इनके जो हालत है, इनकी जो परिस्थितिया थी जिन हालातो में ये चलकर जा रहे थे इनके साथ हादसे हो रहे थे। वो सब देखकर के मुझे ये कदम उठाना पड़ा ये इनके लिए जरुरी था। सोनू सूद ने ये भी कहा की मज़दूर पैदल चलकर अपने गांव जा रहे है ऐसे में काफी मज़दूरों की मौत होने की खबर सामने आयी काफी मज़दूरों की तबियत खराब होने की खबर सामने आयी ऐसे में सोनू सूद ने ये कदम उठाया।
सोनू सूद ने कहा अब वो आगे दूसरे राज्यों के मज़दूरों के लिए भी बात करेंगे उत्तरप्रदेश झारखड, बिहार ओडिशा जैसे राज्यों के लिए भी बात करेंगे। उन्होंने कहा इन प्रवासी मज़दूरों को बच्चो और बुजुर्गो के साथ हज़ारो किलोमीटर्स की यात्रा करते देखना मेरे लिए बहुत पीड़ादायक था। तब मुझे लगा मुझे ये कदम उठाना चहिए। जो सोनू सूद ने किया है उसके लिए उनका दिल से सलाम है उन्होंने काबिले-तारीफ़ काम किया है।